कोशिश जरी है,
कदम अग्रसर है,
धुन्दती आखें नमी कुशी की है,
वक्त है जो ये ज्हकम भी भर देगा अगर हम चाहे तो,
और हम चाहते भी है.
This was inspired as a response to the comment in incomplete... :) thanks for the positivity
Nov 3, 2009
और हम चाहते भी है...
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