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Feb 22, 2014

ज़िन्दगी मुस्कराती है 
जाने फिर क्यों आँख भर आती है। 
छोटा सा आचल, थोड़े से सपने,
जाने फिर क्यों राहें भटक जाती है। 

ज़िन्दगी कुछ समझाना चाहती है ,
जाने क्या सीखना चाहती है। 


May 5, 2013

वक्त नहीं मिलता

आज कल कुछ कहने को नहीं होता
जिससे मिलो वो यही कहता - यार वक्त नहीं मिलता
कितने खाली प्याले समेटे थे कल
और आज एक प्याला भरने तो वक्त नहीं मिलता


वाही नहीं


यही कही, कही नहीं
तुमने मुझे रोक नही |

हसी कुशी, कुशी नहीं
भरी आखें छलकी नहीं |

तुमारी यादे भूली नहीं
पर सुनहरी यादे नयी कई |

चलती रही, गुज़री नहीं 
ख़ुशी मुझे मिली वाही |

Apr 15, 2013

राही

राही  


हर मोड़ पर मिलते है कुछ अपने
आखो मे लेकर कितने सपने
हलके कदम और सहमे से हम
ढूंढते है वो साये
जिनके थामे हाथ और समझे जस्बात
किसी ने दी कुशी और किसी ने हसी
और कभी मुश्किलों से मिली प्ररणा नयी
नहीं ज़रूरी की हेर ख्वाइश हो पूरी
और थोड़ी बुँदे अखो से छलकाए कुशी कभी



Oct 28, 2011

फिर वाही मोड़ वीर वाही तनहाई है
थोड़ी धुप थोड़ी पर्चिय है
रुक चाहे कदम पर

Apr 1, 2011

लगता है आशाएँ थकने सी लगी है
क्यों मिलती नहीं कोई उम्मीद मुझसे
पता नहीं मंजिले खोई है या रास्ता
या फिर लगनेलागी कमी किसी की
क्यों जो मिलते है साये सिर्फ थोड़ी देर को ही 
तलाश है तो किसकी 
जो बिखरे है उन्होंने तो सिर्फ तोडा है मुझको
जो उठती है आवाज़ वो सुनिय नहीं देती किसी को 
और जो आवाज़ सुनाई वो तो मेरी सिर्फ परछाई है
कोई इस वक्त है तो कोई हमेशा होके भी कभी नहीं
कोई सुनता नहीं तो कोई सुनाता नहीं 
कोई रुकता नहीं तो कोई बुलाता नहीं
अपनी पहचान  ढूढने निकली हु पर किसी की परछाई मैं 


Jan 22, 2011

रंग

लगता नहीं ये साल नया है
कुछ कम कुछ अधुरा है
क्यों दुखने पर ही होता कुछ नया है
 या फिर मासूमीयत के उतारते रंग से कुछ छिला है
 कितने बार उन रंगों को फिर निखारेगे
कभी तो उनपे भी निशान छोड़ जायेगे हादसे
पर शायद उन आधे उखड़े
यहाँ वहां बिखरे
कुछ कच्चे कुछ पक्के
रंगों से उभरे कोई खूबसूरत तस्वीर नयी

पर जब तक पूरी ना होगी ये तस्वीर
कैसे मान लू की ये रंग अपनी जगह खुबसूरत नहीं

Sep 13, 2010

छलके क्यों है आखों से ये आसू  जब मिटा है आज ये गम
रुके क्यों है ये कदम जब नज़र आने लगी है मजिल
पलट के क्यों देखती है ज़िन्दगी जब अगले मोड़ पे है खुशियाँ

क्यों थामे है ये मन वो कच्चे धागे
जो सिर्फ कसक दे जाते है दिल को
क्यों दुखता है ये मन उन यादो को छोड़ते हुए
जब उन यादो ने किये सिर्फ आख़े नाम

May 13, 2010

ख़ामोशी की खवाइश है
तू ही इस दिल की फ़रमाइश है
थोडा रुकना थोडा चलना और हाथो में जो ये हाथ है

May 8, 2010

रुख जाना है कितना आसान पर ये नहीं है पूर्ण विराम

कुछ बातें अधूरी रह जाती है
कुछ यादें बार बार लौट आती है
मंज़िल्लो की जगह मोड़ और रास्तो की जगह ठहराव 
कोशिस और आशा दोनों एक पंथ के दो काज
ना जाने आशा ने पहेले छोड़ा साथ
या कोशिस ने मानी हार
सवालो की जगह जवाब और उनमें उलझे ना जाने कितने सवाल
रुख जाना होगा कितना आसान
पर
शायद इस कहानी की होगी बिलकुल अलग आवाज़
शायद जो यादे लोटी उनसे करनी होगी मुझे मुलाकात
शायद बस एक मोड़ और
शायद ना कोशिश ना आशा बस कर्म देगे साथ
शायद नहीं ढूढने मुझे सवालों के जवाब
सच रुख जाना है कितना आसान
पर
जिस कहानी के किरदारों ने दी है चोट हज़ार
वाही किसी ने दी है सहने की शक्ति तमाम
यादो को चुनने की
हेर मूड से गुजरने की
आशाओं के टूटने पे कोशिश करते रहने की
उठे सवालो के जवाब कर्म से देने की

पर ये नहीं है पूर्ण विराम
कहानी किरदार यादे
मोड़ मज़िले
सवाल
फिर गुज़रे गे |

Mar 22, 2010

कभी पहेले खुद को रोका ना था
तुमसे बातें करने को इतना सोचा ना था
गुज़रता तुमको जो देखा, तो दिल ने चाहा ना जाने क्या
 क्यों खिचती है अपनी ओर आखे तेरी
वो कुछ धुन्दले से स्पर्श का एहसास
अधि अधूरी बातो की वो खनकार
क्यों करना चाहू तुमपे ऐतबार

Apr 6, 2009

dastan jo adhuri rah jaye...
sapne jo pure na ho paye...
kyo dil na jane unpe aasu bhaye.
vo dastan nahi thi jismain apne the
vo sapne nahi the jinmain kushiya thi
fir kyo dil naye nahi saja paye.
kyo tham ke chalte hai kadam
kyo nahi hote pata bharosa firse

Feb 1, 2009

कोशिश

कुछ यादें भुलाने की
फिर से जी भर मुस्कुराने की
नए सपने सजाने की


koshish

kuch yadien bhulane ki
phir se ji bhar muskurane ki
naye sapne sajane ki

it isn't going to be so...

some days you wish to give up,
some days you wish not to be strong,
some days you wish others to take initiative to set things right,
some days you wish people understand not judge,
some days you wish friends to trust not ask,
some days you just wish

but then it isn't going to be so...

Aug 31, 2008

आने वाली खुशियाँ और बीता हुआ गम

थोड़ी सी मान मे शांति और थोड़ी सी उदासी
पंख फैलाने की इकछा और कही घर छूटने का गम
कुछ सपनो को पूरे करने की हिम्मत और कुछ टूटे सपनो के चुभने का डर
मंज़िलो की ओर बढ़ते कदम और वापस कीचता हुआ ये सूनापन
खुद पे करना है विषवास और टूटे सारे भरोसे
किसी की उम्मीद और टूटी सारी आशाए
आने वाली खुशियाँ और बीता हुआ गम

-- शोभना

aane wali kushiya aur beeta hum gam

thodi si man main hai shanti aur thodi si hai udasi
pankh phalane ki ikcha aur kahi ghar chutne ka gam
kuch sapno ko pura karne ki himmath aur kuch tute sapno kechubhne ka dar
manzillo ki or badhte kadam aur vapas kichta hua ye sunapan
kudh pe karna hai vishwas aur tute sare bharose
kisi ki umeedhaur tuti sari aashayian
aane wali kushiya aur beeta hua gam

--shobhna

Aug 25, 2008

कशीश

तुमसे ही बातें करने की और खामोशी से गुम हो जाने की
तुमको ही बहो मे भरने की और तुमही से आखे चुराने की
तुमसे ही रूठने की और तुमही को मानने की
तुमको ही समझने की और तुमही को भूल जाने की
तुमसे ही दूर जाने की और तुम्हारे संग ज़िंदगी बिताने की
कशीश
--
शोभना

kashish

thum se hi baatain karne hi aur khamoshi se gum ho jane ki
thumko hi bhaho main sharne ki aur thumhi se aakhien churane ki
thumse hi ruthne ki aur thumhi ko manane ki
thumko hi samajhne ki aur thumko hi bhul jaane ki
thumse hi dur jaane ki aur thumhare sang zindagi bitane ki
kashish

--shobhna

Aug 19, 2008

क्यो होता है (kyo hota hai)

क्यों होता है...
हर घड़ी कुछ यादें भुलानी है
और ज़िंदगी उन यादो की कहानी है
क्यों होता है...
हर रह एक धुंधली निशानी है
और ज़िंदाघी मंज़िल की ओर बढ़ानी है
क्यों होता है...
हर पल आँखें भर आती है
और ज़िंदगी मुस्कुराते गुज़ारनी है
क्यों होता है...
हेर आज पर कल की परछाई है
और ज़िंदगी रोज़ नयी सजनी है
क्यो होता है?
--शोभना

kyo hota hai...
har ghadi kuch yaadain bhulani hai
aur zindagi un yaadain ki kahani hai
kyo hota hai...
har rah ek dhundli nishani hai
aur zindagi manzil ki or badhani hai
kyo hota hai...
har pal aankhen bar aati hai
aur zindagi muskurate guzarni hai
kyo hota hai...
har aaj per kal ki parchai hai
aur zindagi roz nayi sajani hai
kyo hota hai?
--shob

Jul 20, 2008

anonymuncule

zindagi na jane kis mod per chod kar aage nikal gayi
apno ne bhi uske saath rahe badal li
armano ne in duriyo main dum tod diya
sapno ne dar se apne ghar badal liye
aur hume pata tak na chala...
--शोभना

May 12, 2008

anonymuncule

Zindagi leke aata hai,
Kushiya leke jata hai.
Kitni kaliya khilata hai,
Sare aarman bujha jata hai.
Sato rang ke sapne dhikata hai,
phir un sapno se vishwas uth jata hai.
muskarane ki hazar vajha lata hai,
phir bevajha muskarana sikah jata hai.
--शोभना

Feb 3, 2006

anonymuncule

kabhi to rukhna,
kuch to khana,
dhire se palat ke phir tum guzar lena.
kabhi to muskarana,
kuch to sarahana,
dhire se akhen mila ke phir tum chura lena.
--शोभना