वक्त नहीं मिलता By Shobhna Srivastava 8:45 PM My poems No comments आज कल कुछ कहने को नहीं होता जिससे मिलो वो यही कहता - यार वक्त नहीं मिलता कितने खाली प्याले समेटे थे कल और आज एक प्याला भरने तो वक्त नहीं मिलता Email ThisBlogThis!Share to TwitterShare to Facebook
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