राही
हर मोड़ पर मिलते है कुछ अपने
आखो मे लेकर कितने सपने
हलके कदम और सहमे से हम
ढूंढते है वो साये
जिनके थामे हाथ और समझे जस्बात
किसी ने दी कुशी और किसी ने हसी
और कभी मुश्किलों से मिली प्ररणा नयी
नहीं ज़रूरी की हेर ख्वाइश हो पूरी
और थोड़ी बुँदे अखो से छलकाए कुशी कभी
2 comments:
raahi !!
raahi it is then :)
Post a Comment