ज़िन्दगी मुस्कराती है
जाने फिर क्यों आँख भर आती है।
छोटा सा आचल, थोड़े से सपने,
जाने फिर क्यों राहें भटक जाती है।
ज़िन्दगी कुछ समझाना चाहती है ,
जाने क्या सीखना चाहती है।
जाने फिर क्यों आँख भर आती है।
छोटा सा आचल, थोड़े से सपने,
जाने फिर क्यों राहें भटक जाती है।
ज़िन्दगी कुछ समझाना चाहती है ,
जाने क्या सीखना चाहती है।
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